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14 अगस्त, 2015

बालकविता "प्रांजल-प्राची की नयी स्कूटी" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

आज हमारे लिए हमारे,
बाबा जी लाये स्कूटी।
वैसे तो काले रंग की है,
लेकिन लगती बीरबहूटी।।

इस प्यारी सी स्कूटी में,
खर्च नहीं बिल्कुल ईंधन का।
चार्ज करो इसको बिजली से,
संवाहक यह संसाधन का।।

अपने घर से विद्यालय की,
थोड़ी सी ज्यादा है दूरी।
पैदल-पैदल जाना पड़ता,
भारी बस्ता है मजबूरी।।

मेरा भइया स्कूटी को,
सीख रहा है अभी चलाना।
इसी सवारी से अब अपना,
विद्यालय को होगा जाना।।

मैं भी खुश हूँ, भइया भी खुश,
नयी सवारी को पा करके।
समय बचेगा, श्रम कम होगा,
पढ़ें-लिखेंगे हम जी भर के।।