कहाँ चले ओ बन्दर मामा, मामी जी को साथ लिए। इतने सुन्दर वस्त्र आपको, किसने हैं उपहार किये।। हमको ये आभास हो रहा, शादी आज बनाओगे। मामी जी के साथ, कहीं उपवन में मौज मनाओगे।। दो बच्चे होते हैं अच्छे, रीत यही अपनाना तुम। महँगाई की मार बहुत है, मत परिवार बढ़ाना तुम। चना-चबेना खाकर, अपनी गुजर-बसर कर लेना तुम। अपने दिल में प्यारे मामा, धीरजता धर लेना तुम।। छीन-झपट, चोरी-जारी से, सदा बचाना अपने को। माल पराया पा करके, मत रामनाम को जपना तुम।। कभी इलैक्शन मत लड़ना, संसद में मारा-मारी है। वहाँ तुम्हारे कितने भाई, बैठे भारी-भारी हैं।। हनूमान के वंशज हो तुम, ध्यान तुम्हारा हम धरते। सुखी रहो मामा-मामी तुम, यही कामना हम करते।। |
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09 जुलाई, 2012
"शादी आज बनाओगे" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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